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आओ ध्यान से आध्यात्मिक अनुभव करें
आओ ध्यान से आध्यात्मिक अनुभव करें: निलेश जोशी
आज के भौतिकता वादी युग में मनुष्य अपने सुख के सभी साधन जुटाने में लगा हुआ है। वह ऐश्वर्य और शानो शौकत में जीना चाहता है। आनंद प्रदान करने वाली हर वस्तु प्राप्त करना चाहता है। इसी के लिए वह दिनभर भागा दौड़ी करता रहता है। इसी भागा दौड़ी में वह अपने वास्तविक सुख को भूलकर कृत्रिम और क्षणिक सुख को ही शाश्वत सुख समझ लेता है। वह अपने धन के बल पर हर वस्तु खरीद लेना चाहता है।
यही उसके जीवन की भारी भूल है। वह इस असीम विश्व के माया जाल में फंसता जाता है। उसे यह मायाजाल इतना आकर्षित करके भ्रमित कर देता है कि उसे यही सब आनंद अनुभूति के साधन प्रतीत होते हैं। इस भौतिकता की दौड़ में वह एक वस्तु प्राप्त करता है तो दूसरी प्राप्त करने की इच्छा करता है। दूसरी प्राप्त कर लेने के पश्चात तीसरी चौथी और पांचवी आदि अनेक वस्तुओं की प्राप्ति की इच्छा करने लगता है।
इस प्रकार उसकी इच्छाएँ बढ़ती जाती है परंतु उसे तृप्ति नहीं होती। मृगतृष्णा की भांति वह दुनिया रूपी रेत के समंदर में पानी अर्थात शांति की तलाश में दौड़ लगाता रहता है और अंत में थक हार कर दम तोड़ देता है। इन सभी अवसादो से बचने का एकमात्र उपाय है ध्यान। मनुष्य जीवन की यात्रा में मानव को उसकी सही नियति की राह से भड़काने के लिए यह मिथ्या जीवन बहुत सारे आकर्षणों के अवरोधों से भरा पड़ा है। सहज मार्ग ध्यान का आत्म सुधार तथा स्वयं के विकास हेतु लगन व निष्ठा के साथ किया जाने वाला अभ्यास हमें हर भटकाव से बचने की क्षमता प्रदान करता है।
अनुभव का मार्ग
अनुभव वह स्रोत है जहाँ से वास्तविक ज्ञान का उदय होता है। हम विभिन्न धार्मिक ग्रंथों एवं आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करके बहुत कुछ सीख और पढ़ लेते हैं। परंतु कुछ समय बाद हम पहले जैसे ही कोरे हो जाते हैं। अनुभव के बिना संपूर्ण ज्ञान खोखला है। हार्टफुलनेस मेडिटेशन एक ऐसा मार्ग है जो हमें अपने आंतरिक स्व का अनुभव कराकर ह्रदय की गहराई में जाना सिखाता है तथा प्रेम, शांति व स्थिरता की स्वाभाविक स्थिति में रहना सिखाता है। इसके नियमित अभ्यास से ध्यान हमें अपने हृदय के साथ सामंजस्य स्थापित करने तथा हर समय शांत एवं संतुलित रहने की दशा को विकसित करने में मदद करता है।
ध्यान कैसे करें?
एक ऐसे स्थान का चयन करें जहाँ कोई खलल ना हो। ध्यान भटकाने वाले सभी उपकरण फोन, टी.वी. आदि बंद कर दे। यदि ज़रूरत हो तो अपने घर वालों को बता दें कि आप ३० मिनट के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। अब आप किसी भी आसन में सोफा, कुर्सी या किसी चटाई पर आराम से बैठ जाएँ। हल्के से धीरे-धीरे अपनी आंखें बंद कर लें। अब अपना ध्यान पांव की अंगुलियों से शुरू करते हैं। यह महसूस करें कि धरती की आरोग्य कारी ऊर्जा पांव की उंगलियों से शरीर में प्रवेश कर रही है।
पांव की पिंडलियों को ढीला छोड़ दें एवं महसूस करें कि उसमें मांस पेशियों एवं घुटने के जोड़ों में भरा हुआ तनाव पिघल कर धुएँ के रूप में बाहर निकल रहा है एवं आराम पहुँचा रहा है। इसी प्रकार आरोग्य कार्य ऊर्जा घुटने, जंघा, कमर, पीठ, सीना, कंधे एवं हाथों की अंगुलियों के पोरों तक पहुँच रही है और इनमें भरे तनाव अकड़न व जकड़न को पिघाल कर बाहर कर रही है। अब इन्हें ढीला छोड़ दे और महसूस करें की वे सब तनाव मुक्त हो रहे हैं और हल्कापन महसूस कर रहे हैं।
अब आप गर्दन, ललाट, कान, नाक, मुंह एवं जबड़े पर अपना ध्यान केंद्रित करें एवं महसूस करें कि आरोग्य कारी ऊर्जा इन सब के विकारों को बाहर करती हुई इन्हें आराम पहुँचा रही है। अब इन्हें ढीला छोड़ दें और महसूस करें कि आप सिर से लेकर पांव तक पूरी तरह से तनाव मुक्त हो गए हैं। पूरा शरीर शिथिल हो रहा है। आप पूरी तरह से हल्का पन महसूस कर रहे हैं। अब अपना ध्यान धीरे से अपने हृदय पर ले आए और यह विचार ले कि मेरे हृदय में ईश्वरीय दिव्य प्रकाश पहले से ही मौजूद है और मुझे अपनी और आकर्षित कर रहा है। इस प्रकार अब पूरी तरह से उसी में रम जाए। जब तक इस दशा में बैठ सकते हैं बैठे रहे।
जब आप स्वाभाविक रूप से ध्यान से बाहर आ जाएँ तो अपने अनुभव को एक डायरी में लिखने के लिए कुछ समय ले। अपने आप से प्रश्न करें कि मुझे ध्यान के बाद कैसा लगा? ध्यान के दौरान मेरा ध्यान कहाँ था? मन के बजाय हृदय पर ध्यान करके कैसा लगा? आदि। तनाव कम करने का तरीक़ा सीखना स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है। यह आपके शरीर के सभी हिस्सों में तनाव कम करता है और तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी संतुलित रहने में मदद करता है।
हार्टफुलनेस मेडिटेशन के नियमित अभ्यास से अपना मन केंद्रित होकर अनुभूति अंतर्ज्ञान और चेतना के गहरे स्तरों तक चला जाएगा। सफाई से अस्तित्व का हल्का पन आनंद एवं चिंता मुक्त मनोभाव बढ़ता है। क्योंकि भावनात्मक बोझ, आदतें, गहरे प्रभाव एवं जटिलताएँ हटती जाती है। रात को सोते समय भी एक सीधे-साधे प्रार्थना मई इरादे से हम विनम्रता पूर्वक अपने आंतरिक स्व से जुड़ सकते हैं। अपने दिल की आवाज़ सुन सकते हैं और अपनी नियति का निर्माण कर सकते हैं।
आध्यात्मिकता के इस पवित्र क्षेत्र में सर्वोच्च लक्ष्य ईश्वर की शीघ्र प्राप्ति के लिए दिल में ईश्वर के प्रेम एवं उसे पाने की चाह का होना तथा उसके साथ-साथ हार्टफूलनेस ध्यान प्रणाली का सही ढंग से निष्ठा पूर्वक अभ्यास व नियमों का पालन करना पर्याप्त है। हार्टफुलनेस मेडिटेशन का नियमित व दिल से किया गया अभ्यास हमें हमारे खो चुके दिव्य स्वभाव व दिव्य ज्ञान को पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
हार्टफुलनेस मेडिटेशन की एक बड़ी विशेषता यह है कि पुरानी कठिन योगिक प्रणालियों के विपरीत यहाँ किसी को पारिवारिक जीवन त्याग कर घर, समाज से दूर जाकर एकांत जीवन जीने व कठिन हठयोग करने की आवश्यकता नहीं है। हार्टफुलनेस मेडिटेशन का सरल आध्यात्मिक ज्ञान व साधना का नियमित अभ्यास का कार्य हर कोई अपने सांसारिक कर्तव्यों का पालन करने के साथ-साथ पूर्णत निभा सकता है।
हार्टफुलनेस मेडिटेशन क्या है और यह सर्वश्रेष्ठ कैसे हैं?
यह दिव्य प्रेम की भावनाओं को सीखने की कला है। हमारा पूरा जीवन भावनाओं द्वारा संचालित होता है और यह काम दिल का होता है। हृदय में मौजूद दिव्यता पर हार्टफुलनेस मेडिटेशन के अभ्यास से जब हम दिल की भावनाओं को समझने लगते हैं तो हम आंतरिक प्रेरणा को अधिकृत कर पाते हैं। हम बार-बार दिल की आवाज़ सुनकर समय के साथ हम अपनी अंतरात्मा की दिव्य चेतना से स्थाई संपर्क स्थापित करना सीख जाते हैं।
अतएव इस तरह हम अपने जीवन को ह्रदय से प्राप्त दिव्य आदेशों के अनुसार कार्यान्वित करना सीख कर अपने मन के मालिक बन सकते हैं। दिल तथा मन के बीच पूरी तरह तालमेल बनाने का काम दिल पर किए जाने वाले इस ध्यान के द्वारा ही होता है इसलिए हम इस प्रक्रिया को हार्टफुलनेस मेडिटेशन कहते हैं।
सेहत के फायदे
सरल भाव से किए गए ध्यान से तनाव कम होने लगता है। मन प्रसन्न रहने लगता है जिससे जीवन में ख़ुशी और सरलता का संचार होता है। इन सभी चीजों का स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बी पी, शुगर, हृदय रोग, अनिद्रा, बेचैनी, घबराहट आदि समस्याओं का एक बड़ा कारण आज की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में होने वाले तनाव को कम करके बेहतर स्वास्थ्य की ओर क़दम बढ़ाते हैं।
निलेश जोशी “विनायका”
बाली, पाली, राजस्थान
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